Thursday, 29 November 2012

PVCHR: Karma Festival: A way to the dignity of the tribal...

PVCHR: Karma Festival: A way to the dignity of the tribal...: Karma tribal dance performers struggle to survive confronting social inequity and administrative apathy Today ‘Karma dance’ is popul...

Thursday, 1 November 2012

‘‘डायन चुड़ैल को पकड़कर मुँह में करखा पोत दो!’’



अभी भी हमारे समाज में आज भी कुरतिया व्याप्त है। लोग भूत प्रेत के चक्कर में मानव के साथ दानव जैसा व्यवहार कर रहे है। ऐसे ही एक पीडि़त महिला की कहानी उसी की जुबानी से रूबरू कराते है। 

मेरा नाम मन्नी, उम्र-52 वर्ष है। मेरे पति का नाम नन्दू राम है। मैं जाति की चमार हूँ। मेरी दो बेटी-आशा और निशा तथा तीन बेटा-जय प्रकाश, ओम प्रकाश और दिनेश है। मैं ग्राम-दीनापुर, पोस्ट-दीनापुर, थाना-सारनाथ, जिला-वाराणसी की निवासी हूँ।

मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नही है। किसी तरह गुजर बसर हो रहा है। मेरे पति भी हर समय बिमार रहते है। क्योकि उम्र ज्यादा हो गयी है। बेटी की शादी हो गयी है। अपने ससुराल में है। हम लोग गरीब ही थे तो क्या से लेकिन गाँव समाज में इज्जत सम्मान था, लेकिन मेरे ऊपर ऐसी घटना घटी की गाँव समाज में निकलना मुश्किल हो गया है। जिधर जाते है लोग मुझे डायन, चुड़ैल की दृष्टी से देखते है। 

घटना दिनांक 30 सितम्बर, 2012 समय 10:30 बजे रात अपने ननद लक्ष्मीना के घर गयी, आँख का दवा मुन्नू लाल, सुरेश, लालमन जो कि मेरे पड़ोसी है, जाति के चमार है और बिरादर होते हुए भी मेरे साथ मेरे पड़ोसी लोग अत्याचार किये। हम दवा ले ही रहे थे कि तब से एक औरत दुजा नाम की हमको खीचकर बाहर ले आयी, तब से भैया लाल, मुन्नू लाल, सुरेश, लालमन, धमेन्द्र चारो भाई और एक भतिजा लपट कर हमको गिराकर लात-घूसों से इतना मारे कि मेरे शरीर में इतना चोट आयी है कि आज भी शरीर के दर्द से मै चल नही पा रही हूँ। मारते समय सब कह रहे थे बोल भूत कइले रहली। हम सबका रोते हुए गिड़गिड़ाते हाथ पैर जोड़ रहे थे, लेकिन मेरी बात कोई नही सुना। धमेन्द्र मेरा बाल पकड़कर नचा दिया, कुछ लोग उसमें से कह रहे थे कि टुटने न पाये और खून न बहे। लात घुसा से ऐसा मारो की अन्दुरूनी चोट लगे बाहर पता न चले। 

कुछ लोग चुड़ैल-डायन कह कर चिल्ला रहे थे और मार रहे थे उस समय हम सोच रहे थे कि अब जान नही बचेगी। वहाँ से किसी तरह बचकर निकले तो घर आये जैसे ही घर के अन्दर मै गयी कि फिर सभी लोग चुड़ैल डायन कहते हुए मेरे घर पर आ गये। 

मैं दरवाजा अन्दर से बन्द कर रही थी कि पाँचों लोग आकर दरवाजा पिटने लगे और लात से धक्का दिये मैं दरवाजे को दबा रही थी कि उन लोगों ने धक्का दिया और दरवाजा खुल गया। मैं गिर गयी और मेरे उपर से चढ़कर घर के अन्दर घुसकर तलाशी लेने लगे। घर का सारा सामान तोड़ फोड़ कर बिखेर दिये। बक्सा में मेरे बेटे की सोने की अंगूठी थी। वो सब भी गायब कर दिये।

तीन लोग घर का सामान तोड़ रहे थे। दो लोग हमको डायन-चुड़ैल कहकर मार रहे थे। उसके बाद जाते समय मुझे पकड़कर जमीन पर घसीटते हुए कुआ के पास ले गये। गाँव के सभी लोग देख रहे थे। उस समय गाँव को कोई सदस्य कुछ भी बोल नही रहा था। बस खड़ा होकर तमाशा देख रहे थे। किसी तरह मैं वहाँसे उठी गिरते पड़ते अपने घर पहुँची। 

वहाँ पहुँचने पर घर की स्थिति देखकर मैं गिर पड़ी। सारी रात मुझे होश ही नही था। 3:00 बजे रात को मेरे दोनो बेटे काम करके आये तो देखे की घर का सारा सामान बाहर फेंका हुआ है। मेरा बेटा हमको जगाने लगा। मैं अपने बेटे की आवाज सुनकर आँख खोली बेटे को देखकर मैं रोने लगी। अपने बेटे से डर के मारे पुरी बात नही बताये बस रो रहे थे। मन में डर था कि कही बेटे से पुरी बात बता देगें तो मेरे बेटे को भी जान से मार डालेगें।

फिर सुबह 10:00 बजे सारनाथ थाने गये। वहाँ पर 50 को आवेदन दिये। जब आवेदन दिये तो एस00 बोला घर जाओ कोई चैकी से जायेगा। तब मैं घर चली आयी न तो कोई चौकी से न थाने से कोई भी नही आया। 

तीन चार दिन बाद पुलिस आया बोला कि कल सुबह चैकी पर आना, लेकिन हम चौकी पर न जाकर थाने एस00 के पास गये। तब एस00 ने विपक्षी पार्टी को चैकी से फोन करके बुलवाया, लेकिन विपक्षी को आने में देर होने पर एस00 ने एन0सी0आर0 दर्ज कराया। 

विपक्षी पार्टी पुरे गाँव को लेकर टैक्टर से थाने पर जाकर थाने के बाहर जब मैं थाने से निकली तभी धमेन्द्र, लालमन, भैयालाल, सुरेश, मुन्नू लाल ने कहा कि डायन-चुड़ैल को पकड़कर मुँह में करखा पोत दो। हम चुप चाप सुनते हुये अपने घर आ गये। 

आपके द्वारा ध्यान योग कराते समय भी मन में एक ही बात आ रहा था कि हमको बिना गलती के सब लोग मार दिये। मन में सोचकर डर व भय बना रहता है। मैं घर से निकलने में डरती हूँ कि मेरे साथ फिर से ऐसी घटना न घटे। आपसे अपनी कहानी बताकर ये उम्मीद कर रही हूँ कि मेरा गाँव समाज से जो प्रतिष्ठा गिरी है फिर से जो सम्मान समाज में कुछ दिन पहले था वही सम्मान मिले और कोई उन लोगों को कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही हो मुझे मेरे परिवार को न्याय मिले।

संघर्षरत पीडि़त : मन्नी देवी
साक्षात्कारकर्ता : छाया कुमारी