मेरा नाम
जोधीलाल, उम्र-46 वर्ष है। मैं गाँव-घघरी टोला सह गोड़ा, ब्लाक-म्योरपुर, जिला-सोनभद्र
का रहने वाला हूँ। मेरी पत्नी का नाम-मनबसिया,
उम्र-45 वर्ष है। मैं खेती का काम करता हूँ।
मेरे पास दो लड़के और सात लड़कियाँ हैं। एक लड़का व दो लड़कियों की शादी हो चुकी
है। मेरी पत्नी भी खेती और रोपाई का कार्य करती थी, शारीरिक व मानसिक कमजोरी के कारण अब
नहीं कर पा रही है। मैं अपने जीवन में दर्दनाक कष्ट सहा हूँ, मेरी
पत्नी को गाँव के ही गोतिया (दयात) हैं वे अपने घर बुलाकर, घर
में बन्द करके मेरी पत्नी को डायन बताकर उस पर कुल्हाड़ी से वार किया।
जुलाई 2010
में बुधवार का दिन था, शाम चार बजे मेरे घर रामरूप गोतिया- भाई लगते
हैं और मेरे
घर से कुछ दूरी पर रहते हैं, उनका बेटा गुजर गया था, अन्तिम संस्कार करने के लिये हमें
बुलाने के लिये मेरे घर आये। तब मेरी पत्नी तुरन्त चल दी, मुझे
कही कि आप दरवाजा में ताला बन्द करके आइयेगा। मैं बोला ठीक है, तुम चलो हम आ रहे हैं। मेरी पत्नी वहाँ गयी, तब
वहाँ लोग बच्चे को मेरी पत्नी के गोद में
दे दिये और बोले कि इसे जिलाओ। यह देखकर उसके
शरीर में डर पैदा हो गया। डर के मारे मेरी पत्नी कुछ नहीं बोल पा रही थी। उसके बाद
वह बोले कि तुम डायन हो मेरे बच्चे को तुम्ही भूत कर दी, इसी
कारण वह मर गया। मैं कहाँ-कहाँ दवा कराया, उसको
दवा काम नहीं किया। तुम
(चुड़ैल) और डायन हो, तुम बच्चे को खा गयी, चलो जिलाओं, नहीं
तो तुम्हे नंगा करके सिर का बाल काटकर काला करखा और सफेद चुना लगाकर पुरे गाँव में
घुमायेंगे। यह कहते हुए रामरूप ने मेरी पत्नी को घिसराते हुए घर के अन्दर ले जाने
लगा। वह जोर-जोर से रोने-चिल्लाने लगी।
वहाँ पर 40
लोग थे पर किसी ने कुछ नहीं बोला। अन्दर ले जाकर दिलीप ने कुल्हाड़ी सिर पर चला
दिया, तब तक उसे होश था। उसने फिर सिर के दूसरी तरफ
मार दिया, जिससे वह गिर पड़ी तथा होठ और दाँत पर भी मार दिया जिससे उसका दाँत टूट
गया। उसके बाद कुल्हाड़ी से गाल पर मारा और वह बेहोश हो पड़ी तथा लहु-लुहान हो
गयी। जब हम आये तो
देखे कि यह क्या हो गया। यह देखकर मैं घबरा गया। मुझे भी गस्ती आने लगी। उस समय
गाँव वालों ने कुछ नहीं बोला। तब
मेरी बहू रजमती और हमारी बेटी सुमन देवी अपनी माँ को देखकर रोने और चिल्लाने लगी।
गाँव के कुछ लोग ने सहायता कर उसे उठाकर मेरे दरवाजे पर लाये। गाँव वालों ने सोचा
कि मनवसिया मर गयी, लेकिन कुछ लोगों ने कहा वह अभी जिन्दा है उसे
जल्दी हास्पिटल पहुँचाओ। उस समय मेरे पास पैसा नहीं था मैं पागल हो गया कि मैं
क्या करूँ। तब हमारे गाँव के जयमंगल ने बभनी से गाड़ी मंगवाया। मैं अपनी जमीन और 13
पेड़ महुवा रेहन रख दिया जिससे 1000 रूपया मुझे तुरन्त मिला, तब हम उसे म्योरपुर
सरकारी हास्पिटल ले गये। वहा के डाक्टर कहे कि इसमें कोई जान नहीं है, इसे तुम बनारस बी.एच.यू. हास्पिटल ले जाओ। तब
मैं बोला कि साहब मेरे पास पैसा नहीं है, इसे
भर्ती ले लिजिये। डाक्टर बोले कि पैसे का प्रबन्ध करो। मैं अपने बेटे को तुरंत फोन
करके कहा कि कल सुबह पैसा लेकर आ जाना। तब डाक्टर ने नर्स से कहा इसे भर्ती कर
पानी चढ़ावों।
दुसरे दिन मेरा
लड़का आया तब टाका लगाया गया। उसके एक घण्टे बाद मेरी पत्नी को होश आया। फिर उसने
जैसे-तैसे अपने पर हुए अत्याचार के बारे में बतायी। वह दस (10)
दिन वहीं हास्पिटल में रही। हम लोग पुलिस के पास गये लेकिन उन्होंने मेरे विपक्षी
लोगों के उपर कोई ए.आई.आर दर्ज नहीं किया। बाद में फिर जब हम मेडिकल रिपोर्ट लेकर
बभनी थाने पर में गया तब पुलिस वालों ने मुझे भद्दी-भद्दी गालियाँ देकर भगा दिया।
उस समय मुझे और डर लगने लगा कि मेरी बेटी और बहु को भी न मार दे। हम रो-रो कर बहुत
सोचते रहे मुझे रात में नींद नहीं आ रही थी,
बस यही लग रहा था कि कहीं वे लोग फिर
से आ न जाय।
उसके दो दिन बाद
गाँव के लोग बोले कि तुम वकील के पास जाओ। हम अपनी पत्नी की दवा लेने दुद्धी गया
तब विचार किया कि कचहरी चले जाये। वहाँ मुझे कुछ मदद मिल जायेगा। तब वहाँ वकील से
मिलकर उन लोगों पर कोर्ट से वारन्ट जारी कराये। तब पुलिस आया मेरी पत्नी को बभनी
थाने ले गया उसके बाद एफ.आई.आर. हुआ। विपक्ष दिलीप पुत्र होतीलाल, देव
किसुन पुत्र होती लाल, होती लाल पुत्र धिरशाह पर मिश्रा दरोगा ने
एफ.आई.आर. किया। इन लोगों ने पहले भी मुझसे जमीन और पेड़ को लेकर विवाद किया था। मेरी पत्नी के साथ इतनी घिनौनी हरकत
इन्होंने किया, जिसकी सजा इन्हें मिले और मुझ न्याय मिले।
आपको अपनी सारी
बात बताकर मेरा मन बहुत हल्का हुआ है और आपके द्वारा कराये गये ध्यानयोग से मेरा
शरीर और मन दोनों को शांति महसुस हुयी हैं।
संघषर्रत पीडि़त
- जोधीलाल
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