मेरा नाम मनबसिया, उम्र-45 वर्ष है। मैं गाँव-घघरी, टोला-सहगोड़ा, ब्लाक-म्योपुर, थाना-बभनी, जिला-सोनभद्र की रहने वाली हूँ। मेरे
पति का नाम जुद्धीलाल है, जो
खेती का काम करते हैं। मेरे पास दो लड़के व सात लड़कियाँ हैं, जिसमें दो लड़कियों व एक लड़के की शादी
हो गयी है। मेरे बच्चों का नाम-सूरतलाल, राजकुमारी, राजपत्ति, हीरामती, सोनामति, सोनकुमार, केवलपति, सीतापति व रामसूरत है। मैं भी
पहले खेती-गृहस्थी करती थी, मगर अब शारीरिक कमजोरी के कारण नहीं कर पा रही हूँ।
मेरे जीवन का वो क्षण जिसमें मुझे डायन कह कर
कुल्हाड़ी से मारा गया जिसका दर्द मेरे शरीर व मन से अभी तक नहीं गया है।
जुलाई 2010 में बुधवार का दिन था, शाम को 4 बजे रामरूप मेरे घर आये, जो गोतनी में मेरे भाई लगते हैं। आधा
किमी दूरी पर उनका भतीजा दीपक रहता है, जिसका 1 साल का बेटा गुजर गया था उसी के
सिलसिले में बुलाने आये थे। मैं सोची दुःख का समय है जल्दी चलो, मेरे पति बोले तुम चलो मैं आता हूँ।
जैसे ही मैं उनके घर पहुँची वो लोग गंदी-गंदी गाली देने लगे, बोले तू डायन है तूने पता नहीं मेरे
बेटे को क्या कर दिया? वो मर गया। तभी रामरूप घर के अंदर से
आये और उस एक साल के बच्चे को मेरे ऊपर लाकर फेंक दिये, कहने लगे एक-एक करके मेरे खानदान को
खत्म कर दे रही है। ये सब सुन मुझे बहुत तकलीफ हुई और गुस्सा भी आया कि ये क्या
इल्जाम मुझ पर क्यों लगा रहे हैं। मैंने कहा चलो मेरा जाँच-पड़ताल करवा लो,
मैंने
कुछ किया है तो कुछ नहीं बोले। तभी दीपक ने मुझे तेजी से पकड़ा और रामरूप गड़ासा
लेकर मेरे ऊपर मारने के लिए दौड़े, बोले साली डायन है। हमें जल्द ही खत्म कर देना चाहिए, इतने पर रामरूप ने मेरे उपर गड़ासा चला
दिया और मैं अचेत पड़ गयी,
दीपक के छोटे
भाई देवकुशन व पिता छोटे लाल मुझे गोजी (लाठी) से मार रहे थे। उस वक्त मुझे कुछ
होश नहीं रहा। उनकी मार से मेरे होठ कट गये, चेहरे, छाती से खुन निकल रहे थे लैंगिक अंगों
पर काफी घाव आ गया था। मेरी साड़ी ऊपर उछाल दिये थे तथा मुझे निःवस्त्र कर दिये थे, मेरे साथ क्या-2 हुआ था मुझे याद नहीं मगर जब मेरे पति
पहुँचे तो हर दृश्य को उन्होंने देखा सारे लोग उनके आने के बाद न जाने कहा छिप गये, पता नहीं चला तब मेरे पति रोते हुए
मुझे घर ले आये और म्योरपुर अस्पताल करीब 10 बजे पहुँचे। मैं 2
दिन तक बेहोश थी। जब 2 दिन बाद मेरे पति व बच्चे मेरे सामने
आये तो उन्हें देखा मुझे रूलाई आ रही थी कि मेरे साथ क्या गंदा काम हो गया। जब मैं
रोने लगी तो मेरे पति समझाये, जब
सालों ने इतना गंदा काम कर दिया मगर मैं कुछ नहीं कर पाया। तुम वो सब बाते भूल जाओ
हम तुम्हारे साथ हैं, चिंता मत करो।
10 दिन बाद मुझे अस्पताल से छुट्टी मिली 1 महीने तक घर पर ही प्राईवेट दवा
बंगाली डा0 के यहाँ से हुई, मेरे पति एफ.आई.आर. दूसरे दिन थाने पर
करायेे, पुलिस उन लोगों को जेल ले गयी। लेकिन
वो लोग पैसा देकर जमानत करवा लिये। केस चल रहा है। दवा करवाने में 20,000 रू0 खर्च हो गया,
8 दिन तक
मुझसे कुछ खाया नहीं गया,
मेरे परिवार की
आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी है। इस समय शारीरिक कमजोरी की वजह से कोई काम नहीं
कर पा रही हूँ सर में बहुत दर्द होता है। चक्कर सा आने लगता है, कुछ अच्छा नहीं लगता, आँख की रोशनी भी कम हो गयी है पानी भी
गिरता है मुझे बार-बार यह सोचकर शर्मिंदगी आती है कि वो लोग मेरा कपड़ा उतारकर
क्यूँ मारे, अगर मैं डायन थी, भूत-प्रेत करने वाली थी, मुझे बिना कपड़े सा क्यू कर दिये, केवल मार भी तो सकते थे। अस्पताल में
महिला डा0 ने भी पूछा तुम्हारे साथ कोई दुष्कर्म
तो नहीं हुआ, मैं उन्हें क्या बताती? मुझे तो कुछ याद नहीं था, मगर शरीर बहुत दर्द करता, पता नहीं वो लोग मेरे साथ क्या-क्या
किये? ये सोचकर मुझे रात में नींद नहीं आती
और यह भी लगता है कि अगर मैं मर जाती तो मेरे परिवार का क्या होता? मेरे बच्चे कैसे रहते? कभी - कभी बहुत गुस्सा आता है। बाहर
जाने में डर लगता है कि कहीं फिर से लोग आकर न मुझे मारे। कोर्ट-कचहरी करने में 2000 रूपये लग गये।
अब तो मैं चाहकर भी कोई काम नहीं कर पाती अंदर
से मन करता है लेकिन कुछ भी नहीं हो पाता। वो लोग कहते हैं उसे मुआ दिये थे मगर
अभी तक वहे डायन नहीं मरी,
अबकी बार ऐसा
मारूँगा कि खत्म हो जाय। अभी भी दवा प्राईवेट अस्पताल में चल रही है।
आगे मैं यहीं चाहती हूँ कि उन दोषियों को सजा
मिले जिसने मेरे साथ ऐसा किया। मुझे न्याय मिले।
संघर्षरत पीडित – मनबसिया
साक्षात्कारकर्ता – बरखा सिंह
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